Healthy Diet

परिचय (Introduction)

जब हम बीमार पड़ते हैं तो परिवार के और लोगों पर असर पड़ता है। बीमार की देख-भाल करने के लिए घर के और लोग भी काम पर नहीं जा पाते हैं, बच्चे पाठशाला School नहीं जा पाते हैं। यानि की आमदनी income में कमी।

चलिए अपने सेहत की देख-भाल करने के लिए जानकारी लें और बचाव का रास्ता अपनाएं। हमारी सेहत तभी अच्छी रह सकती है जबकि हमारे आस पड़ोस के लोग हमारे पड़ौसी Neighbor भी उतने सेहतमन्द हो जैसा हम बनना चाहते हैं, क्योंकि सेहत का सम्बन्ध आस-पास की सफाई और वातावरण से जुडी है।

सेहत की देख-भाल केवल एक परिवार की समस्या नहीं है, पूरे समुदाय की जरूरत है। इसलिए बीमारी से बचाव भला।

अच्छी सेहत के लिए क्या खाएं what to eat for good health
अच्छी सेहत के लिए सबसे जरुरी है अच्छा, साफ सुथरा भोजन। अच्छे भोजन का मतलब ज्यादा भोजन नहीं है। अच्छे भोजन से मतलब है वैसी सभी खाने की चीजें जिनमें हमारे ताकत के लिए

अच्छी सेहत के लिए सभी गुण हों।

ताकत देने वाले भोजन Strength food

अनाज ( Cereal): गेहूं, चावल, मकई
दाल (Grains) : चना, अरहर, मुंग, उडद, मसूर
मारीदार : आलू, शकरकन्द, ओल, अरबी, मूली
Green Vegetable हरी सब्जी और साग
पीली सब्जी : कुम्हाडा
फल (Fruits) : अमरुद, आम, पपीता, केला
Dairy Products :दूध दही, छेना, छाछ
अंडा, मुर्गा, मांस, मछली
तेल, घी, मखन
गुड, चीनी, शहद

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तरह-तरह के मसलें
हमारे भोजन में उपर दिए गये सभी चीजों का थोडा थोडा हिस्सा जरुर होना चाहिए। केवल चावल, रोटी और सब्जी खाने से अच्छी सेहत नहीं पायी जा सकती है।

गर्भवती Pregnant एवं दूध पिलाने वाली महिलाओं का भोजन
जब माँ की कोख में बच्चा पल रहा होता है तो उन्हें अधिक और ताकत देने वालों को भोजन की जरुरत पड़ती है। माँ के अलावे पेट में पल रहे बच्चा भी माँ के भोजन पर जीता है।

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यदि गर्भ के समय माँ ताकत देने वाले भोजन नहीं लेती हैं तो :

बच्चा कमजोर कम वजन वाला और छोटा होता है
इस समय अपना और दूध पिलाने तक माँ को रोटी, चावल, दाल, सोयाबीन, फल, दूध, मांस मछली उचित मात्रा में देनी चाहिए ताकि माँ और बच्चा दोनों सेहतमंद रहें। ज्यादा दूध मिले ताकि बच्चा

कमजोर न हो जाए।

छोटे बच्चों के लिए सेहत वाला भोजन Healthy food for toddlers
जन्म से चार महीने के बच्चों के लिए :
बच्चे के जन्म के तुरंत बाद माँ को अपना पहला दूध-पीला और गाढ़ा – जरुर पिलाना चाहिए। यह बच्चों की बिमारियों से दूर रखता है।
बच्चे को डिब्बा वाला दूध कभी नहीं पिलाना चाहिए। यह दूध जानलेवा होता है।
चार महीने तक माँ को बच्चे को अपना दूध ही पिलाना चाहिए। उसे किसी और भोजन या पानी की जरुरत नहीं पड्ती है।
अगर माँ को पूरा दूध न निकले तो माँ को अधिक पानी पीना चाहिए। पत्तेदार साग, पपीता, लहसुन, दूध, मांस, अंडा, मछली खाना चाहिए।
अगर बिलकुल दूध न निकले तो भी बच्चे को अपना स्तन चूसने दें। कभी न कभी दूध जरुर निकलेगा। इस बीच गाय, बकरी या भैंस का दूध में पानी एवं थोड़ी चीनी मिलाकर बच्चे को पिलाएं।

दूध को उबाल कर ठंडा होने पर ही दें।
चार महीने से एक साल तक के बच्चों का भोजन

जब बच्चा चार महीने का हो जाए तो माँ को अपने दूध के साथ-साथ दूसरे तरह का भी भोजन देना जरुरी है। बच्चों के भोजन को अच्छी तरह पकाएं और मसलें।
चार से छ महीने तक — दाल और पत्तेदार सब्जियों को पकाने वाला पानी मसली हुई दाल, रोटी, सब्जी मसला हुआ केला और पपीता, दूध में पकाया दलिया

छ महीने एक साल तक — मसले हुए भात, रोटी, दाल के साथ हरी सब्जियां मसले हुए फल पीला फल और सब्जी

गाजर (उबले और मसलें)
कुम्हड़ा (नहीं)
पपीता (मसल कर )

  • थोड़ा थोड़ा खाना दिन में पांच से छ बार
  • दूध पिलाना नहीं बन्द करें

अगर हम सेहत ठीक रहने वाला भोजन न लें तो क्या होगा ?
बच्चों में किसी भी व्यक्ति में

  • वजन नहीं बढ़ेगा – कमजोरी और थकान

-चलाना, बोलना और सोचना – भूख खतम हो जाना

  • धीरे-धीरे होगा – खून की कमी
  • उदासी और कमजोरी – जीभ पर घाव
  • फूला हुआ पेट – पांव का फूलना और सुन्न होना
  • पतली-पतली टांगे और हाथ
  • लम्बी बीमारियां
  • बालों का झडना
  • सूखी-सूखी आंखे,
  • पांव, चेहरा, हाथों का फूल जाना
  • दस्त
  • सिर दर्द
  • मसूड़ों से खून निकलना